शनिवार, 3 जून 2017

एक साथ कई कलाओं की ट्रेनिंग लेना क्या सही है

आप भी कभी न कभी ऐसे इंसान से जरूर मिले होंगे जो गाना भी अच्छा गा लेता है,नृत्य कर लेता है और वादन भी ...और तो और पेंटिंग लेखनी कुकिंग आदि भी थोड़ी बहुत अच्छी कर ही लेता है या यूं कहें कि बहुत अच्छी कर लेता है। कुछ लोग जन्मजात टैलेंटेड होते हैं एक साथ कई चीजों को करने में। उनके अंदर एक चीज को एक बार में समझ कर कर लेने की अच्छी समझ होती है,लगन होती है। यह बहुत अच्छी बात है, ऐसे इंसान को देखकर खुशी भी होती है और जलन भी ।और फिर आज के इस कंपटीशन भरे माहौल में एक साथ कई चीजों का जानकार होना आपके कैरियर की सिक्योरिटी बनाए रखने में मदद भी करता है। बहुत सारी संस्थाएं/कंपनियां भी मल्टी टैलेंटेड इंसान को नौकरी देना पसंद करती हैं। बजाय इसके कि वह हर चीज के लिए अलग अलग इंसान को रखें। शायद आज के दौर में यही एक वजह है जिस से कई छात्रों ने खुद को कई सारे शोर्ट टर्म कोर्सेज से जोड़कर रखते हैं।  उन्होंने नृत्य का भी प्रशिक्षण लिया हैं म्यूजिक भी सीखते हैं,तबला भी सीख रहे हैं और पेंटिंग वगैरह में भी एडमिशन ले रखा है। और ऊपर से पढ़ाई! बोर्ड के एग्जाम का टेंसन,कोचिंग का टेंसन वगैरह-वगैरह।
                   अगर आप भी मेरी लिखी इन लाइनों से सहमत है,तो खुद को जज करने की कोशिश कीजिये। एक साथ बहुत सी चीजों का जानकार होना गलत नही है। गलत है आपका उन चीजों का जानकारी लेने का तरीका! एक साथ एक ही समय में कई चीजों की ट्रेनिंग लेने से आप किसी भी एक विद्या पर फोकस नहीं हो पाएंगे। उस विद्या का एक्सपर्ट या मास्टर होना तो दूर की बात है, आप एक अच्छे जेनरल नालेज वाले व्यक्ति भी नहीं बन पाएंगे। फिर कत्थक,वादन और गायन यह सारी विद्याएं आजीवन अभ्यास मांगती है। जैसे उदाहरण के तौर पर आप अपने घर को साफ सुथरा रखने के लिए रोज घर में डस्टिंग करते हैं,बिना नागा किए। ठीक वैसे ही यह विद्याए नियमित अभ्यास मांगती हैं। यह मैं अपने पिछले आर्टिकल में भी लिख चुकी हूँ  "सर्वश्रेष्ठ बनना है तो निरंतर अभ्यास करें "  अगर फिर भी आपके दिल में यह इक्छा जगती है कि मैं सब सीखूं। ...तो मेरा कहना है कि पहले कोई एक चीज सीखना शुरू करें, फिर उसमे बेहतरीन होने के बाद ही दूसरी कला की ओर रुख करें। वैसे भी कला के क्षेत्र में एक कहावत काफी प्रसिद्ध है "एक साधे सब सधे सब साधे सब जाये" यह कहावत कत्थक की A B C सिखाने वाले मेरे गुरूजी अक्सर मुझसे कहा करते थे, और उनकी बात मुझे हमेशा सही प्रतीत हुई है।
धन्यवाद।

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