मंगलवार, 30 मई 2017

प्राणायाम से बढ़ाए अपनी नृत्य प्रदर्शन की शक्ति

हालांकि किसी भी क्षेत्र में कहते हैं कि अगर आपको बेहतर कलाकार बनना है तो आपके लिए मानसिक शक्ति का प्रबल होना बहुत ही आवश्यक है पर नृत्य में इसकी आवश्यकता कुछ ज्यादा होती है क्योंकि नृत्य में ही हम एक साथ शारीरिक संतुलन बनाते हुए भाव प्रदर्शन करते हैं, जहां कई सारी लयकारी और ताल लय का समावेश होता है , इतने सारे कामों का एक साथ होने की वजह से नर्तक का ध्यान एकाग्र हो इसके लिए मानसिक शक्ति का मजबूत होना आवश्यक है. मानसिक शक्ति प्रबल होने से शरीर में निर्भयता आती है, चेहरे पर कॉन्फिडेंस दिखाई देता है तथा कला में निखार आता है. जैसा कि आपको पता है प्रत्येक कला का स्रोत मन होता है इसलिए मन यानी मानसिक शक्ति का काफी महत्व है अगर आपका मन कमजोर है तो आप उतना प्रभावपूर्ण नृत्य प्रस्तुत नहीं कर पाएंगे, अगर आपका मन ईर्ष्या से भरा है तो आप दूषित नृत्य ही प्रस्तुत करेंगे है, पर इसके विपरीत आपका मन सुंदर है,स्वस्थ है तो आप एक अद्भुत कला का प्रदर्शन करेंगे जो दूसरों के मन को छुएगा और प्रभावित भी करेगा.
पर हम मन को विकसित कैसे करें. मन की शक्ति को विकसित करने के लिए हमें अपनी प्राण शक्ति बढ़ानी होती है प्राण का व्यायाम यानि प्राणायाम करना चाहिए. वैसे तो कई सारे प्राणायाम है जिन्हें आप अपनी सुविधानुसार अपना सकते हैं पर फिर भी मैं आपको यहां एक प्रणायाम बता रही हूं जो सबसे आसान है. जिसे आप नित्यप्रति अभ्यास कीजिए और मन की शक्ति को बढ़ाइए. सबसे पहले आप किसी भी आसन में बैठ जाइए, आप पालथी मारकर भी बैठ सकते हैं या वज्रासन में भी बैठ सकते हैं जिसमें भी आपको ज्यादा आराम महसूस हो उस आसन का प्रयोग आप करें. शरीर को ढीला रखें पर रीड की हड्डी सीधी रखें यानी सीधा बैठे. अपनी नासिका से सांस अंदर कीजिए और इमेजिंन कीजिए  कि यह हवा आपके शरीर के अंगूठे तक पहुंच रही है और आप एक नई ऊर्जा महसूस कर रहे हैं,इस सांस को आप 5 सेकंड तक अपने अंदर ही रोकिए फिर धीरे-धीरे से बाहर निकालिए.  यह एक चक्र माना जाएगा . शुरुआत में आप प्राणायाम का दो चक्र ही करें फिर धीरे-धीरे इसे बढ़ाकर 5 चक्र तक ले जाए. इसका नियमित रूप से अभ्यास करें. यह प्राणायाम का सबसे आसान तरीका है आप चाहे तो कई सारे और प्रणायाम हैं जिन्हें आप अपनी रुचि के अनुसार अपना सकते हैं. आपकी प्राण शक्ति बढ़ेगी और आपका शरीर तंदुरुस्त होगा, रक्त शुद्ध होगा और मानसिक शक्ति का विकास होगा, आपकी एकाग्रता बढ़ेगी और साथ ही आपकी सीखने की क्षमता भी बढ़ेगी. आपके व्यक्तित्व में एक ओज पैदा होगा जो आपको भीड़ से अलग करेगा.