गुरुवार, 29 जून 2017

ऑनलाइन कत्थक सीखें-2

                         चैप्टर-2
व्यायाम
कथक नृत्य को सीखने में आपका स्वास्थ आपके सीखने पर असर डाल सकता है । जरुरी है कि आप स्वस्थ रहें और लगातार नृत्य करने की शक्ति आपके पास हो,ताकि आप अच्छी तरह और देर तक प्रेक्टिस कर सके। नृत्य करने के अंगो का भी हम व्यायाम में प्रयोग कर सकते है,ताकि उनका लचीलापन बढ़े। और नृत्य में प्रयोग करने में कोई कठिनाई ना आए।सबसे पहले अपनी आंखों से शुरु करें ।
आंखों का व्यायाम
1.आंखों की पुतलियों को दाहिने और बाएं बारी-बारी से घुमाए।
2. ऊपर और नीचे देखने का प्रयास करें ।
3.Diagonal तरीके से घुमाएं। पहले सामने से दाहिने, दाहिने से ऊपर,ऊपर से बाएं,बाएं से नीचे,नीचे से सामान्य। फिर इसका उल्टा करे।
गर्दन का व्यायाम
गर्दन को पहले बार घुमाकर अपने काम को कंधों में सताए फिर दाहिने सताए ऐसा कर हमसे जितनी बार कर सके करें चेहरे कीथोड़ी नीचे करें फिर ऊपर छत देखें यानी गर्दन को ऊपर और फिर नीचे करें गर्दन को बुलाई में घुमाइए गर्दन को पहले जो कहा है उसेऊपर छत देखें फिर बाएं कंधे की ओर जाते हुए फिर नीचे झुकाएंऐसा पहले घर घड़ी की दिशा में करें फिर घड़ी की उलटी दिशा मेंकरें गर्दन आगे पीछे करें जैसे पक्षी करते हैं फिर इसका दूसरा प्रकार में पहले दाहिने देखें फिर सामने और फिर बाय देखें इसका उल्टा करें या नहीं पहले बाय देखें फिर सामने की तरफ देखें और फिर दाहिने देखें
कमर का व्यायाम
1.कमर को पहले दाहिने उठाएं,फिर बाएं। ऐसा क्रम से करते रहें।
2.कमर को दाहिने से गोलाई में घुमायें। फिर बाए तरफ से गोलाईमें घूमाए ।
3.कमर के पार्श्व भाग को ऊपर उठाएं फिर इसे सामान्य करें।
कत्थक नृत्य में ज्यादातर पैरों का इस्तेमाल होता है ततकार करने में। अतः पैर के खिंचाव वाले व्यायाम अवश्य करें।
पैरो के लिए व्यायाम
 सर्वहितआसन-इसमें अपना एक पैर घुटनों से मोड़े फिर दोनों हाथों से घुटनों को सहारा देते हुए अपने सीने पर घुटना स्पर्श करने की कोशिश करें। यह आसान करने से पैरों में स्थिरता बढ़ती है।
◆ नटराज आसन- इसमें आप दाये पैर को पीछे से उठाकर घुटनों से मोड़े फिर पीछे से दाएं हाथ से पैर के पंजे पकड़े और दूसरा हाथ सामने फैला दें । एक पैर से संतुलन बनाए। सिर सीधा रखें। इसे दूसरे पैरों से भी करें।बशारीरिक स्थिरता और मानसिक एकाग्रता के लिए यह आसन काफी लाभ प्रद है ।
◆ शिरंगुष्ठासन- इसमें आपको अपने सिर से पैरों के अंगूठे को छुना है दूसरा पैर पीछे की ओर सीधे जमीन पर फैला हुआ रहेगा। और दोनों हाथ पीठ पर बंधे हुए रहेंगे।
◆ उतान पादासन-पीठ के बल भूमि पर चित्त लेट जाएं। दोनो हथेलियों को भूमि स्पर्श करने दें। दोनों पैरों को सटाएं हुए धीरे धीरे ऊपर उठाएं। जितनी देर रोक सकते हैं रोके फिर श्वास छोड़ते हुए नीचे करें। इस व्यायाम का जिक्र लक्ष्मी नारायण गर्ग द्वारा लिखित किताब "कत्थक नृत्य" में है। 
◆ पादहस्तासन- इस आसान को करने के लिए नृत्य के समपाद मुद्रा में खड़े हो जाए। दोनों हाथ ऊपर उठाएं, सांस भरे और कमर से धीरे-धीरे झुकते हुए सामने से अंगूठे को छुए। ध्यान रहे घुटना मुड़ना नहीं चाहिए।अब सांस छोड़ते हुए वापस सीधे खड़े हो जाए। यह आसन पैरों के साथ-साथ जांघ और कमर के लिए भी सर्वोत्तम है।
◆ प्राणायाम- मानसिक शक्ति को बढ़ाने के लिए आप प्राणायाम अवश्य करें। इससे आपकी स्मरण शक्ति तीव्र होगी,जो कत्थक में काफी लाभप्रद होगी। किसी भी आसन में बैठ जाइए, और आंखें बंद करके गहरी सांस लीजिए। सांस लेने और छोड़ने की गति धीमी हो। मन को विचार मुक्त रखिए और शरीर को तनाव मुक्त महसुस कीजिए। यह बहुत आसान है पर कई गुणा लाभप्रद है।
◆ शवासन- नृत्य आरंभ करने से पूर्व या सुबह में इन सभी व्यायाम को करने की आदत डालें। जो 24 घंटे में एक बार काफी है, पर नृत्य में हर रियाज समाप्ति पर या स्टेज परफॉर्मेंस के बाद शवासन करना जरुरी है। इसे करने से नृत्य करने के दौरान आपकी शरीर की गई ऊर्जा वापस आती है। नृत्य करने के पश्चात आप जमीन पर सीधे लेट जाइए,हाथ और पैर को पूरी तरह ढ़ीला/निढाल छोड़ दीजिए, और गहरी सांस लीजिए। 20 मिनट इसी स्थिति में ही लेटेे रहिए। आप इसके बाद काफी उर्जावान महसूस करेंगे।

बुधवार, 28 जून 2017

ऑनलाइन कत्थक सीखें 1

चैप्टर-1
प्रणाम/नमस्कार
कथक में अभिवादन को सलामी या नमस्कार कहते हैं. इसी से नृत्य प्रारंभ होता है. वैसे तो कथक में प्रणाम,नमस्कार,सलामी का बड़ा स्वरूप है. नृत्य पर मुगलों के प्रभाव से सलामी तोड़ेे नाचे जाते थे और वर्तमान में हिंदुओं का प्रभाव होने से सलामी तोड़ो की जगह बहुतायत में नमस्कार और गुरु या ईश वंदना ने ले ली है. यहां मैं नमस्कार/सलामी,तोड़ो से करने की बात नहीं कर रही हूं.सबसे पहला प्रणाम जो नृत्य के रियाज के समय या शिक्षा ग्रहण करने के समय किया जाता है,मैं उस प्रणाम के बारे में बता रही हूं.
जब भी आप रियाज करें तो उसके पहले प्रणाम करें, और नृत्य समाप्ति पर भी प्रणाम करें. यह प्रणाम आप मंच पर नृत्य आरंभ करने से पहले भी करें. सलामी,नमस्कार और वंदना के बारे में आगे के चैप्टर में बात होगी.
उत्पत्ति स्थान पर शिखर हस्तमुद्रा बनाएं. फिर कंधे से गोल घुमाते हुए पंजों पर संतुलन बनाते हुए बैठे,फिर पहले मंच/फर्श पर हाथों से पताका मुद्रा बनाते हुए स्पर्श करें. इसके बाद पताका मुद्रा बनाते हुए अपनी पलकों को स्पर्श करें. यह हमारा मातृभूमि के लिए सम्मान हुआ.
पलको को छूते समय सीधे खड़े हो जाएं. पैरों की स्थिति समपाद में होगी. फिर सबसे पहले सर के ऊपर पुष्पम बनाते हुए भगवान को प्रणाम करें.
अंत में कंधों से हाथों को घुमाकर उत्पत्ति स्थान पर अंजलि की मुद्रा बनाकर प्रणाम करें. यह प्रणाम गुरु के लिए हुआ.अगर आप मंच पर प्रस्तुति दे रहे हैं तो गुरु के लिए और दर्शक दोनों के लिए है. बस दर्शक के लिए अंजली मुद्रा बनाए हुए हाथों को बाईं कंधे की तरफ से दाहिने कंधे की ओर लाकर उत्पत्ति स्थान पर प्रणाम करना है.

बुधवार, 21 जून 2017

प्राणायाम और कथक

योग एक आध्यात्मिक प्रक्रिया है। योग करने से शारीरिक और मानसिक स्थितियों में जुड़ाव होता है,जिससे मन शांत और स्थिर होता है। बिल्कुल यही चीज का अनुभव हमें कत्थक में भी होता है। इस नृत्य में शरीर और मन को एक लय में रखते हैं और आत्मिक सुख की अनुभूति प्राप्त करते हैं। योग और कत्थक दोनों का अपना ही शास्त्र है। वैसे तो योग और कथक की परिभाषा करना कठिन कार्य है, और साथ ही इन विद्याओं को साधना भी अत्यंत कठिन है। प्रत्येक प्रसंग का विस्तार पूर्वक अध्ययन संभव नहीं।
बौद्ध धर्म के अनुसार कहा गया है "कुशल चितैकग्गत योगः" अर्थात कुशल चित्त की एकाग्रता योग है।


कथक के नवीनतम सूफी कथक के विकास में भारतीय योग का काफी प्रभाव है। इन दोनों में ही शारीरिक मुद्राओं यानी आसन और श्वास नियंत्रण यानी प्रणायाम को अनुकूलित किया है। वैसे आप कैसे लाभ में योगासन और प्राणायाम द्वारा कत्थक नृत्य में?? पिछले आर्टिकल "प्राणायाम से बढाये अपने नृत्य प्रदर्शन की शक्ति"  मैं मैंने प्राणायाम से मानसिक शक्ति को प्रबल बनाने को कहा था। लक्ष्मीनारायण गर्ग द्वारा रचित किताब कत्थक नृत्य में भी रूप सौंदर्य चैप्टर में व्यायाम और प्राणायम की आवश्यकता कत्थक नृत्य के लिए बताई गई है।
योगासनों से कत्थक में लाभ
कत्थक नृत्य में सिद्धहस्त होने के लिए बहुत छोटी बड़ी चीजों की आवश्यकता है। शारीरिक स्तर पर एक कुशल नर्तक में कुछ चीजें हो जिसमें आपका खूबसूरत और लचीला शरीर ,सुंदर चमकती त्वचा, अच्छा स्वास्थ्य ,आदर्श वजन( कृशकाय शरीर या भारी शरीर दोनों ही कथक नृत्य के लिए सही नहीं है) होनी चाहिए। वही मानसिक स्तर पर आत्म विश्वास, याददाश्त, सुंदर विचार, प्रभावशाली वाणी, शांति, खुशी और ऊर्जा होनी चाहिए। शारीरिक और मानसिक स्तर पर इन जरूरी गुणों को पूर्ण करने का काम योगाभ्यास और प्राणायाम करते हैं। योग में कई आसान है जिन्हें आप करें तो शारीरिक रूप से आप समृद्ध होंगे  और ऊपर लिखित सभी चीजें या उससे कहीं ज्यादा फायदा आपको मिलेगा। वहीं प्रणायाम से आप अपना आत्मिक विकास कर सकते हैं। आप अपनी आत्मा को पवित्र करने की कोशिश करेंगे तो स्वतः आप आत्मविश्वासी और वाणी से प्रतिभाशाली होंगे। आपका मन शांत होने से याददास्त अच्छी होगी और आप एक विनम्र नृत्य के कलाकार बन सकेंगे।
योग और कथक नृत्य मुद्राओं की समानता
मुद्रा : जहां योग में मुद्रा एक प्रतीकात्मक किया अनुष्ठानिक भाव-भंगिमा है। वही शास्त्रीय नृत्य में  मुद्रा (gesture) यानी हस्त मुद्रा जैसे शब्द का प्रयोग किया जाता है। कथक नृत्य में मुद्राएं दो प्रकार की है पहली असंयुक्त मुद्रा जो 24 है,और दूसरी संयुक्त मुद्रा जो 13 है। आमतौर पर दोनों हाथों से और उंगलियों से मुद्राएं बनती है। योग मुद्रा में जो ब्रह्म मुद्रा में हाथों से मुद्रा बनती है। उसकी समानता कत्थक में पल्लव मुद्रा के समान है। कत्थक नृत्य की पताका मुद्रा योग के अभय मुद्रा से मिलती-जुलती है। योग में इसका अर्थ सुरक्षा, शांति, परोपकार, तथा भय को दूर करने वाला का प्रतिनिधित्व करता है। वही पताका मुद्रा में भीड़,वर्षा,रात्रि ,गर्मी इत्यादि को दिखाया जाता है। योग में एक और मुद्रा है जिसका नाम है पृथ्वी मुद्रा या मुद्रा कत्थक की मयूर मुद्रा के समान होती है पृथ्वी मुद्रा करने से गैस, गला, आंख इत्यादि के रोगों में लाभ मिलता है तथा खूबसूरती बढ़ती है चेहरे में चमक आती है। नृत्य के मयूर मुद्रा से मयूर,लता,बिंदी,आंसू इत्यादि का अर्थ दिखाने के लिए मयूर हस्त मुद्रा का प्रयोग किया जाता है। बनते दोनो एक ही तरीके से है पर दोनों का अर्थ और प्रभाव अपने क्षेत्र में अलग -अलग है। योग के करण मुद्रा के समान ही कथक नृत्य ।में सिंहमुख मुद्रा बनती है।जहाँ योग में करण मुद्रा का प्रयोग करने से यह बीमारी और नकारात्मक विचारों को दूर करती है।पर यह मुद्रा पूरी तरह सिंहमुख मुद्रा के समकक्ष नही बनती है, क्योकि पश्चिमी देशों में करण मुद्रा अनामिका और मध्यमा उंगलियो को मोड़कर बनती है बाकी उंगलिया सीधी तनी हुई होती है, जबकि कुछ देशों में यह मुद्रा सिंहमुख मुद्रा समान अनामिका मध्यमा के साथ अंगूठा भी मुडा होता है। सिंहमुख मुद्रा से हम शेर का चेहरा,अग्नि,हाथी,खुशबू,घास,फूल इत्यादि को दर्शाते है।
         यह तो हुई कुछ चन्द मुद्राएं जो योग में समान रुप से बनाई जाती है और अपने अपने क्षेत्र में लाभ देती है। एक विस्तृत अध्ययन करने पर हो सकता है हमें ऐसे बहुत से साम्य और लाभ  देखने को मिलें। इस आर्टिकल में कुछ त्रुटिया हो सकती है इसके लिए मुझे क्षमा करेंगे। परंतु अपने विचारों से मुझे अवगत अवश्य कराएं ।
धन्यवाद।

बुधवार, 14 जून 2017

कुछ अनोखापन है आपके नृत्य में?

क्या आप नृत्य की शिक्षा ले रहे हैं? तो यह आर्टिकल आपके लिए है... जिस तरह आप अपने फ्यूचर की प्लानिंग करते हैं वैसे ही जिस विषय कि आप शिक्षा ले रहे हैं उसमें आप विशेषज्ञ बन सके उसके लिए भी प्लानिंग करनी जरूरी है।नृत्य सीखने के दौरान सिर्फ सीखते जाना सही है,ऐसा कर आप अपने गुरु की नजरों में एक काबिल छात्र या छात्रा बन जाते हैं।सिखाये हुए सभी तोड़े,टुकड़ों को सही से प्रस्तुत करना और उन्हें ताल के अंतर्गत गिनकर सम पर लाना,अपने पाठ्यक्रम के सारे तालों को जानना, उन्हें कई विभिन्न नए लयकारिओं में प्रस्तुत करना और नियमित रियाज करना। अगर आप यह सारे कार्य जानते हैं,तो निश्चय ही आप बेहतर विद्यार्थी हैं नृत्य के।

पर क्या इतना काफी है? इससे आप एक अच्छे नृत्य के जानकार बन सकते हैं,और बेहतर नृत्य गुरु बन सकते है।  अगर आपके नृत्य प्रस्तुतीकरण का ढंग प्रभावशाली है तो मंच के  प्रतिष्ठित कलाकार बन सकते हैं। पर क्या आपको नहीं लगता कि 134 करोड़ के भारत की आबादी में आपके जितना मेहनत करने वाले लाखों कत्थक के विद्यार्थी होंगे,जो पहले से मौजूद बेहतर नृत्य शिक्षा और मंच के कलाकार से बेहतर बनने का प्रयास नहीं कर रहे होंगे? आप दुनिया की नजर में आना चाहते हैं तो कुछ अनोखा कीजिए। जरूरत सिर्फ रियाज करते जाने की नहीं है। आप खुद को किस तरह के  कलाकार के रूप में देखना चाहते हैं यह समझने की जरूरत है। वह अनोखापन खुद में ढूंढने की जरूरत है जो किसी दूसरे कलाकार में ना हो। कोई एक ही चीज बार-बार क्यों देखेगा! आप क्या शॉपिंग करने जाते हैं, तो पहले से मौजूद ड्रेस जैसी ही दूसरी खोज कर खरीदते हैं...!! नहीं ना? बल्कि आपकी कोशिश यही रहती है कि जो भी ड्रेस ले वह अच्छी हो,और सबसे अलग दिखे। पर सवाल यह है कि अनोखापन लाने के लिए क्या करना होगा। यहां मैं कुछ टिप्स लिख रही हूं जो आपने अनोखापन पैदा करने में मदद करेगा। और कुछ चीजें जो मैं आपके अंदर क्या खूबी है नहीं जानने की वजह से नहीं बता पाऊंगी..उन्हें आप खुद ढूंढने का प्रयास कीजिएगा।
ततकार-कथक नृत्य में ततकार सबसे पहले सीखने वाली विद्या है इसका आप नियमित कम-से-कम एक घंटा रियाज करें। और तरह-तरह की लयकारिया प्रस्तुत करें। मैंने अपने विद्यार्थियों से बात की जो नियमित एक घंटा सिर्फ ततकार की रियाज करते हैं,लेकिन सिर्फ तीन ताल में ता थेई थेई तत आ थेई थेई तत! ....ऐसा करने का कोई फायदा नहीं,आप बस इसे ऐसे करें कि 1 घंटे में समय बांट दें और कुछ समय तीन ताल में पहले विभिन्न लयकरियाँ करें। फिर कुछ समय तक पैरों को सादा 8गुन या 16 गुन में संचालित करें। और बाकी बचे समय में दूसरे ताल की भी लयकारियाँ करें। याद रखें ताल बहुत सारे हैं और आप हर ताल के तत्कार में एक 1-1 घंटे नहीं दे सकते, इसलिए 1 घंटे में सिर्फ दो ताल की तत्कार ही करें।
हस्तक - तत्कार के बाद बारी आएगी हस्तक में सुधार की। हस्तक में मुद्राओं का समावेश होता है। जिसमें आप संयुक्त और असंयुक्त मुद्राओं का प्रयोग करते हुए तीन ताल में सभी हस्तक एक के बाद एक विभिन्न लयों में करें। हस्तक में सुधार के लिए आप सभी हस्तक एक बार अपने गुरु के सामने जरुर करें और दिखा कर पूछ ले कि कहां-कहां और क्या-क्या कर गड़बडिया है। फिर उन्हें एक-एक कर सुधारे। याद रखें आपकी गड़बड़ियां एक सही गुरु ही आपको बताएगा। यह बात मैंने अपने पिछले आर्टिकल में भी कही है “क्या सही गुरु से ले रहे हैं आप नृत्य की शिक्षा”। अधिकांशतः कथक के विद्यार्थियों का हस्तक करने के दौरान या तो कंधे लटके होते हैं या  कोहनिया नीचे की ओर झुकी होती है। और पूरे शरीर का पोस्टर बेढंगा होता है। कत्थक में कई ढंग और तरीके के हस्तक होते हैं,आपको सभी हस्तक पूरे मनोयोग से और बारीकी से सीखने और करने चाहिए। जितनी मेहनत आप हस्तक पर करेंगे आपका नृत्य उतना ही बेहतर होगा।
चक्कर- अगर आप चाहते हैं कि सभी दर्शक आपको चमत्कृत होकर देखे तो चक्कर पर पकड़ अवश्य बनाएं। नृत्य में चक्कर ले पाना आसान नहीं होता। इसमें अगर आप सबसे अनोखा बनना चाहते हैं तो सिंपल एक का चक्कर से काम नहीं चलेगा। आपको एक बार में चार से पांच चक्कर लेने की कोशिश भी करनी होगी बिना उन चार या पांच चक्करो के बीच में पैर टिकाये या रखे। जितनी कोशिश आप बाईं तरफ से चक्कर लेने में करते हैं उतनी कोशिश दाईं तरफ के चक्कर पर भी पकड़ बनाने पर करें तो निश्चित ही आपके पास अनोखापन मौजूद हो जाएगा। क्योंकि कत्थक में सीधी चक्कर तो सभी लेते हैं पर उल्टी चक्कर लेना बहुत मुश्किल होता है। चक्कर पर पकड़ बनाने के लिए शारीरिक संतुलन काफी मायने रखता है शुरुआत में रियाज करते वक्त आप लड़खड़ा सकते हैं पर धीरे-धीरे कोशिश करते रहें तो लड़खड़ाना कम होगा और स्थिरता आती जाएगी। चक्कर एड़ी पर ही करें पंजों पर नहीं। एड़ी पर चक्कर लेने से चक्कर करने के दौरान आपका शरीर अप-डाउन नहीं करेगा। चार-पांच चक्कर करने में चौथे या तीसरे चक्कर पर एक बार पंजों का प्रयोग कर सकते हैं.

         .....इसी तरह और भी कई चीजें हैं जिसको एक आर्टिकल में समेटना संभव नहीं। आपको अनोखा नर्तक बनाने में कत्थक नृत्य में कई छोटी-बड़ी चीजें हैं जो आपको प्रेक्टिस करनी होगी। यह कथक के प्रति आपका समर्पण और तपस्या ही आप से करवा सकती है। मैं आगे की आर्टिकल में बाकि बाते बताऊंगी
            धन्यवाद।


 मेरी यह पोस्ट अगर आपको अच्छी लगी हो तो इसे सोशल मीडिया के माध्यम से ज्यादा से ज्यादा शेयर करें ताकि कथक नृत्य के और भी विद्यार्थी इससे लाभ ले सके।

मंगलवार, 6 जून 2017

भगवान ने सबको 24 घंटे ही दिए हैं

जी हां भगवान ने तो सबको बराबर समय दिया है किसी से कोई भेदभाव नही किया । इन्ही 24 घंटो में दिन रात एक कर कोई अपना नाम रोशन कर जाते है,तो कोई जिंदगी में कुछ नहीं कर पाता बस simple  सी जिंदगी गुजार लेता है, अपने समस्याओं का रोना रोते हुए। सबसे बड़ा रोना यह कि मुझे अमुक काम करने का वक़्त ही नही मिला...! याद रखिये एक्सक्यूसेस जो आप औरो को दे रहें हैं वो सच में एक्सक्यूसेस नही है वह आप खुद को तस्सली देते हैं कि मेरे जीवन में कुछ न हासिल करने की वजह कोई और (समय की कमी) है ...मैं नही हूँ!!!
जबकि आप ध्यान दें तो पाएंगे कि कई बार तो यूँ ही समय बर्बाद होता है और आप उसे काम समझ कर करते चले जाते है। जी हां मेरा इशारा नेट सर्फिंग,चैटिंग , मैसेज इन जैसे गैर जरूरियात कामों की तरफ है जिनमें आपका एक अच्छा खासा वक्त बर्बाद होता है। कई बार तो आप समय फिक्स न रखने की वजह से भी समय को बर्बाद करते हैं,जैसे मॉर्निंग में अगर आपको उठना हो तो आपका समय अगर फिक्स ना हो। जैसे कि किसी दिन आपकी सुबह 6:00 बजे नींद खुल गई किसी दिन आप 4:00 बजे सुबह उठ गए। इस वजह से भी समय की काफी बर्बादी होती है,और आप कोई भी काम सही वक्त पर पूरा नहीं कर पाते या आपके कई सारे काम अधूरे छूट जाते हैं। वजह यही है कि आपका समय किसी भी काम के लिए निर्धारित नहीं है।
आपको हर काम के लिए समय मिले या समय कम न पड़े, इसके लिए जरूरी है कि

●आप अपने आप को punctual करें । आप अपने दैनिक कार्यों को निर्धारित समय पर समाप्त करें । जो काम आपके हिसाब से हो सके उन कामों को एक निश्चित अवधि में और नियमित उसी समय पर खत्म करने की कोशिश करें जिस समय पर आप इसे रोज कर सकें। इसमें आपके डेली रूटीन के काम आ सकते हैं, नहाना, ब्रश करना,कपडे आयरन करना,घर की साफ-सफाई करना,खाना बनाना वगैरह- वगैरह।
● नेट सर्फिंग चैटिंग आदि को नियमित समय अवधि के लिए खाली समय में करें, जैसे कि जब आपको हल्का आराम करने का मन करें।जरूरी नहीं की किसी ने आप को मैसेज किया है तो उसी वक्त रिप्लाई देना पड़े,बाद में भी जरूरी बातें लिखकर उसे सेंड करें और जो भी क्वेश्चन जानना चाहते हो या पूछना चाहते हों उसे लिखकर छोड़ दो। अगर रिप्लाई मांगना तुरंत जरूरी हो तो फोन से बात कर ले।
● जो भी चीजें आप अलग से करना चाहते हैं जो आपके लॉन्ग टर्म के ड्रीम हो सकते है। उन्हें आप कितने साल बाद अपनी लाइफ में हासिल कर लेना चाहते हैं। यह निर्धारित करते हुए उतनी अवधि का एक प्लान तैयार करें और फिर उस पर काम करें। याद रखिए जरूरी नहीं कि हमें अपने सपने को पाने के लिए खरगोश की भांति दौड़ना पड़ेगा तभी वह हमारी लाइफ में आएगा। हम कछुए की तरह चलकर भी अपने सपने को पूरा कर सकते हैं।
● कभी-कभी हम अनचाहे रूप से दूसरों के काम में उलझे रह जाते हैं, और हमारे अपने काम के लिए वक्त नहीं मिलता।अगर आपके साथ ऐसा है तो आप खुल कर बोलना सीखें। अगर आप सही में उस काम को नहीं करना चाहते तो 'ना' कहें। शुरू में प्रॉब्लम आएगी पर अगर आपने अपनी बात क्लियर कर दी तो सामने वाला आपकी बात जरूर समझेगा।
● कभी-कभी यह भी होता है कि सारा काम खुद करने के चक्कर में हम अनचाहे रूप से बेफजूल के काम मे उलझे रहते हैं। जो काम सिर्फ आप ही कर सकते हैं, उसे स्वयं करें। जो उतना महत्वपूर्ण काम नहीं है उसे करने में दूसरों की मदद अवश्य लें। इससे आपका काम आसान हो जाएगा और समय भी बचेगा।
● याद रखिए लाइफ में आपका ड्रीम क्लियर होना चाहिए।अगर आपका जीवन में लक्ष्य क्लियर है,तो बस उस पर दृढ़ रहिए और निरंतर रूप से उस पर काम करते रहिए आपका लक्ष्य जरुर पूरा होगा।

शनिवार, 3 जून 2017

एक साथ कई कलाओं की ट्रेनिंग लेना क्या सही है

आप भी कभी न कभी ऐसे इंसान से जरूर मिले होंगे जो गाना भी अच्छा गा लेता है,नृत्य कर लेता है और वादन भी ...और तो और पेंटिंग लेखनी कुकिंग आदि भी थोड़ी बहुत अच्छी कर ही लेता है या यूं कहें कि बहुत अच्छी कर लेता है। कुछ लोग जन्मजात टैलेंटेड होते हैं एक साथ कई चीजों को करने में। उनके अंदर एक चीज को एक बार में समझ कर कर लेने की अच्छी समझ होती है,लगन होती है। यह बहुत अच्छी बात है, ऐसे इंसान को देखकर खुशी भी होती है और जलन भी ।और फिर आज के इस कंपटीशन भरे माहौल में एक साथ कई चीजों का जानकार होना आपके कैरियर की सिक्योरिटी बनाए रखने में मदद भी करता है। बहुत सारी संस्थाएं/कंपनियां भी मल्टी टैलेंटेड इंसान को नौकरी देना पसंद करती हैं। बजाय इसके कि वह हर चीज के लिए अलग अलग इंसान को रखें। शायद आज के दौर में यही एक वजह है जिस से कई छात्रों ने खुद को कई सारे शोर्ट टर्म कोर्सेज से जोड़कर रखते हैं।  उन्होंने नृत्य का भी प्रशिक्षण लिया हैं म्यूजिक भी सीखते हैं,तबला भी सीख रहे हैं और पेंटिंग वगैरह में भी एडमिशन ले रखा है। और ऊपर से पढ़ाई! बोर्ड के एग्जाम का टेंसन,कोचिंग का टेंसन वगैरह-वगैरह।
                   अगर आप भी मेरी लिखी इन लाइनों से सहमत है,तो खुद को जज करने की कोशिश कीजिये। एक साथ बहुत सी चीजों का जानकार होना गलत नही है। गलत है आपका उन चीजों का जानकारी लेने का तरीका! एक साथ एक ही समय में कई चीजों की ट्रेनिंग लेने से आप किसी भी एक विद्या पर फोकस नहीं हो पाएंगे। उस विद्या का एक्सपर्ट या मास्टर होना तो दूर की बात है, आप एक अच्छे जेनरल नालेज वाले व्यक्ति भी नहीं बन पाएंगे। फिर कत्थक,वादन और गायन यह सारी विद्याएं आजीवन अभ्यास मांगती है। जैसे उदाहरण के तौर पर आप अपने घर को साफ सुथरा रखने के लिए रोज घर में डस्टिंग करते हैं,बिना नागा किए। ठीक वैसे ही यह विद्याए नियमित अभ्यास मांगती हैं। यह मैं अपने पिछले आर्टिकल में भी लिख चुकी हूँ  "सर्वश्रेष्ठ बनना है तो निरंतर अभ्यास करें "  अगर फिर भी आपके दिल में यह इक्छा जगती है कि मैं सब सीखूं। ...तो मेरा कहना है कि पहले कोई एक चीज सीखना शुरू करें, फिर उसमे बेहतरीन होने के बाद ही दूसरी कला की ओर रुख करें। वैसे भी कला के क्षेत्र में एक कहावत काफी प्रसिद्ध है "एक साधे सब सधे सब साधे सब जाये" यह कहावत कत्थक की A B C सिखाने वाले मेरे गुरूजी अक्सर मुझसे कहा करते थे, और उनकी बात मुझे हमेशा सही प्रतीत हुई है।
धन्यवाद।

शुक्रवार, 2 जून 2017

सर्वश्रेष्ठ बनना है तो निरंतर अभ्यास करें

यहां सिर्फ बात कथक की नहीं हो रही है दुनिया की किसी भी विद्या में आपके सिद्ध हस्त होने के लिए उसका निरंतर अभ्यास करना आवश्यक होता है। सिर्फ उस विद्या को आपका सीखना काफी नहीं. बल्कि उस विद्या में सर्वश्रेष्ठ बनने के लिए आप को निरंतर अभ्यास की जरूरत होगी. निरंतर अभ्यास आपको किसी भी विद्या में सर्वोत्तम बना सकता है .
मैं बहुत से पेरेंट्स और नृत्य में इंटरेस्ट रखने वाले छात्राओं से मिली हूँ जो "कत्थक" "नही" सीखना चाहते!!!! वजह जानना चाहो तो ज्यादातर का मानना है कि यह विद्या काफी मेहनत मांगती है...
मुझे आपसे जानना है कोई ऐसा काम आप बताएं जिसमे मेहनत न हो आसानी से आप कुछ मिनटों में उस विद्या के महान ज्ञाता बन जाये! सच्चाई ये है कि आप कुछ भी सीखे-पढ़े अगर टॉप में आना चाहते है तो रात की नींद और दिन का सुकून छोड़ कर सर्वश्रेष्ठ बनने के लिए निरंतर प्रयासरत होना पड़ेगा। "निरंतर" जी हां यही वो शब्द है जो आपको आपकी सफलता निश्चित करवाएगा।
हम विद्या सीखते तो है पर प्रॉब्लम वहां शुरू होती है जहां आप शुरुआत की कक्षा में जो भी सीखते हैं वह घर जाकर पूरे उत्साह से उसका रियाज या अभ्यास दो घंटे,तीन घंटे या कभी-कभी पूरा दिन करते रहते हैं पर जैसे-जैसे आपका समय पुराना होता जाता है,आप पुराने विद्यार्थी होते जाते हैं वैसे-वैसे आपका रियाज/अभ्यास करने का समय कम होता जाता है। किसी दिन आपका मन हुआ तो आपने अभ्यास कर लिया और जिस दिन आप का मन नहीं हुआ उस दिन आपने छोड़ दिया। जिस वजह से निरंतरता नहीं बन पाती, और निरंतर अभ्यास ना करने की वजह से उस विद्या का आपके पास बने रहने में दिक्कत आने लगती है. आपका मन धीरे-धीरे उस विद्या से दूर जाने लगता है और फिर सीखते समय भी आप बोर महसूस करते है और बोरियत से आपको वही सब्जेक्ट कठिन लगने लगता है। पर इस बोरियत को दूर करने का क्या उपाय है. इसके लिए सबसे पहले तो आप को समय सारणी बनानी होगी कि हमें प्रतिदिन कितना अभ्यास करना है. और समय सारणी इतनी कठिन ना हो कि उसका पालन करने में आप चार-पांच दिन बाद ही ऊब जाएं. ज्यादा सही होगा कि आप शुरुआत में बहुत कम समय के लिए अभ्यास करें जैसे कि शुरू में सिर्फ 15 या 20 मिनट... आपकी हँसी छुट सकती है कि बात हो रही है सर्वश्रेष्ठ बनने की और अभ्यास सिर्फ 15 मिनट!! जी हां पर शर्त यह है कि आप 15 और 20 मिनट प्रतिदिन अभ्यास करेंगे बिल्कुल घड़ी देखकर इसमें आप 1 मिनट की भी कटौती नहीं करेंगे और वह भी नियम से उसी समय मतलब अगर सुबह 5 बजे तो 5 बजे। याद रखिए यह वादा आप कर रहे हैं तो इसमें कोई बहाना नहीं चलेगा जैसे कि मैं बीमार हो गया या हो गई या कल पार्टी में जाना था या कल मैं बहुत थक गई थी या थक गया था आदि आदि। यह शुरू के 15-20 मिनट आपके इंटरेस्ट के हिसाब से दिन के 4-5 घंटे में भी बदल जाएगा अगर आप निरंतर अभ्यास करते रहें। मैंने कहीं पढ़ा था कि अगर कोई काम आप निरंतर 21 दिन तक करते हैं तो वह काम आपकी आदत बन जाती है और इस आदत को आप लगातार बिना 1 दिन भी नागा किये 6 महीने तक करते हैं तो वह काम आपकी पर्सनालिटी आपका व्यक्तित्व बन जाती है. जी हां इस चीज को मैंने भी आजमाया है अगर सही में आपने 21 दिन तक लगातार कोई काम कर लिया तो 22वें दिन अगर आपसे वह काम छूटता है तो उस दिन आपको चैन नहीं पड़ेगा कि मैंने आज नहीं किया,नहीं किया... बार-बार यह बात आपके दिमाग में घूमती रहेगी और जब तक आप वह काम कर नहीं लेंगे आपको चैन नहीं आएगा। ...तो सोचिए अगर किसी आदत को कुछ महीने तक लगातार कर लेने से वह काम आपका व्यक्तित्व बन जाएगा कि नहीं? इसका सबसे अच्छा उदाहरण है आप बचपन से ब्रश करते आ रहे हैं,नहाते आ रहे हैं। यह सारे काम क्या आपको अब याद दिलाने पढ़ते हैं या करने का मन नहीं करता है? ...नहीं ना। यह काम आप स्वतः ही कर लेते हैं। तो याद रखिए कि निरंतर अभ्यास हमें उस काम की आदत डाल देगा जिससे आप उस विद्या के सर्वश्रेष्ठ जानकार बन जाएंगे।
धन्यवाद।

गुरुवार, 1 जून 2017

क्या सही गुरु से ले रहें है आप कत्थक नृत्य की शिक्षा

आजकल कथक नृत्य का प्रचार बढ़ रहा है यह खुशी की बात है कई सालों से दरबारों के बीच में पली-बढ़ी यह कला अब लोगों के बीच में फैल रही है और यह खुशी की बात है कि अब इसे बुरी निगाह से नहीं देखा जाता,इसके कलाकारों को अब सम्मान मिलता है,स्टेज परफॉर्मेंस मिलती है, तारीफ मिलती है। जिससे कलाकारों में कुछ नया कर गुजरने की चाहत पैदा होती है। पर इस चाहत की अंधी दौड़ में कहीं हम कथक की गलत या आधी-अधूरी शिक्षा ना लेने लगे। इसे बिना समझे बस डिग्रीयां ना इकट्ठी करते जाएं यह समझना होगा।
आजकल छोटे-बड़े कई संस्थाओं में कथक नृत्य की शिक्षा दी जा रही है. आप वहां एडमिशन लेने से पूर्व यह जरूर जान लें कि जिन से आप कथक की शिक्षा लेंगे उन्हें इसका कितना ज्ञान है आप अपने विवेक से अपना गुरु चुनें। पहले मिले, कक्षाओं का ध्यान से अवलोकन करें, फिर वहां एडमिशन ले.
कहीं ऐसा ना हो कि आपको गलत-सलत बातें समझाकर डिग्री दिलवा दी जाए। उसे आप अपने आप को पूरा कलाकार समझने लगें और बाद में आपका किसी अच्छे जानकार से सामना होने पर पता चले कि आपको कथक का जरा सा भी अच्छा ज्ञान नहीं है, इसलिए सबसे पहले कथक का एक अच्छा विद्यार्थी बनने के लिए हमें उसकी सही तालीम पर ध्यान देना होगा.
पर आप कत्थक की ट्रेनिंग में आप पता कैसे लगाएंगे कि आपको सही शिक्षा दी जा रही है या नहीं. जब कि आप जानते ही नही की शुरुआत होती कैसे हैं, आप को क्या सिखाया जाता है या नहीं सिखाया जाता. इसके लिए सबसे महत्वपूर्ण और जरुरी बात है कि आप जिस संस्था में प्रवेश ले वहाँ के गुरु से आपके सम्बंधित कक्षा कि सिलेबस ले लें । फिर उस सिलेबस को ध्यान से पढ़े और सिखाने को कहें, अगर आपने सही गुरु व संस्था चुनी है तो स्वतः आप को वो सभी चीजे सिखने मिलेंगी जो सिलेबस में है अन्यथा नही।
शुरुआत में जब आपको नृत्य की शिक्षा दी जाएगी तब आपको तीन ताल में शुरुआत कराई जाएगी. सबसे पहले आपको खडे होने का तरीका बताया जाता है कि आपको कैसे और किस ढंग से खड़े होना है। हस्तक और उनकी मुद्रा को समझाया जाता है और उन मुद्रा को किस ढंग से प्रस्तुत करना है यह समझाया जाता है।
सबसे बड़ी प्रॉब्लम यह होती है कि आपको प्रैक्टिकल की शिक्षा तो दी जाती है पर थ्योरी की शिक्षा जरा सी भी नहीं दी जाती जिस वजह से कत्थक का ज्ञान आपको पूरी तरह नहीं हो पाता। इस महत्वपूर्ण बात पर भी ध्यान दें कि आपको थ्योरी समझाया जाता है या नही!
इन सभी बातो से बढ़ कर यह भी है कि जिस गुरु से आप किसी भी तरह की शिक्षा लेते है उनका सम्मान करना कभी न भूले और खुद भी इतनी मेहनत अवश्य करें कि आप सर्वश्रेष्ठ हो सकें। इस  आर्टिकल को लिखने का उद्देश्य केवल सही फैसला लेने में विद्यार्थियों को आत्मनिर्भर बनाना है इसे कोई भी गुरुजन अन्यथा न लेंगे।
धन्यवाद।