चैप्टर-2
व्यायाम
कथक नृत्य को सीखने में आपका स्वास्थ आपके सीखने पर असर डाल सकता है । जरुरी है कि आप स्वस्थ रहें और लगातार नृत्य करने की शक्ति आपके पास हो,ताकि आप अच्छी तरह और देर तक प्रेक्टिस कर सके। नृत्य करने के अंगो का भी हम व्यायाम में प्रयोग कर सकते है,ताकि उनका लचीलापन बढ़े। और नृत्य में प्रयोग करने में कोई कठिनाई ना आए।सबसे पहले अपनी आंखों से शुरु करें ।
आंखों का व्यायाम
1.आंखों की पुतलियों को दाहिने और बाएं बारी-बारी से घुमाए।
2. ऊपर और नीचे देखने का प्रयास करें ।
3.Diagonal तरीके से घुमाएं। पहले सामने से दाहिने, दाहिने से ऊपर,ऊपर से बाएं,बाएं से नीचे,नीचे से सामान्य। फिर इसका उल्टा करे।
व्यायाम
कथक नृत्य को सीखने में आपका स्वास्थ आपके सीखने पर असर डाल सकता है । जरुरी है कि आप स्वस्थ रहें और लगातार नृत्य करने की शक्ति आपके पास हो,ताकि आप अच्छी तरह और देर तक प्रेक्टिस कर सके। नृत्य करने के अंगो का भी हम व्यायाम में प्रयोग कर सकते है,ताकि उनका लचीलापन बढ़े। और नृत्य में प्रयोग करने में कोई कठिनाई ना आए।सबसे पहले अपनी आंखों से शुरु करें ।
आंखों का व्यायाम
1.आंखों की पुतलियों को दाहिने और बाएं बारी-बारी से घुमाए।
2. ऊपर और नीचे देखने का प्रयास करें ।
3.Diagonal तरीके से घुमाएं। पहले सामने से दाहिने, दाहिने से ऊपर,ऊपर से बाएं,बाएं से नीचे,नीचे से सामान्य। फिर इसका उल्टा करे।
गर्दन का व्यायाम
गर्दन को पहले बार घुमाकर अपने काम को कंधों में सताए फिर दाहिने सताए ऐसा कर हमसे जितनी बार कर सके करें चेहरे कीथोड़ी नीचे करें फिर ऊपर छत देखें यानी गर्दन को ऊपर और फिर नीचे करें गर्दन को बुलाई में घुमाइए गर्दन को पहले जो कहा है उसेऊपर छत देखें फिर बाएं कंधे की ओर जाते हुए फिर नीचे झुकाएंऐसा पहले घर घड़ी की दिशा में करें फिर घड़ी की उलटी दिशा मेंकरें गर्दन आगे पीछे करें जैसे पक्षी करते हैं फिर इसका दूसरा प्रकार में पहले दाहिने देखें फिर सामने और फिर बाय देखें इसका उल्टा करें या नहीं पहले बाय देखें फिर सामने की तरफ देखें और फिर दाहिने देखें
गर्दन को पहले बार घुमाकर अपने काम को कंधों में सताए फिर दाहिने सताए ऐसा कर हमसे जितनी बार कर सके करें चेहरे कीथोड़ी नीचे करें फिर ऊपर छत देखें यानी गर्दन को ऊपर और फिर नीचे करें गर्दन को बुलाई में घुमाइए गर्दन को पहले जो कहा है उसेऊपर छत देखें फिर बाएं कंधे की ओर जाते हुए फिर नीचे झुकाएंऐसा पहले घर घड़ी की दिशा में करें फिर घड़ी की उलटी दिशा मेंकरें गर्दन आगे पीछे करें जैसे पक्षी करते हैं फिर इसका दूसरा प्रकार में पहले दाहिने देखें फिर सामने और फिर बाय देखें इसका उल्टा करें या नहीं पहले बाय देखें फिर सामने की तरफ देखें और फिर दाहिने देखें
कमर का व्यायाम
1.कमर को पहले दाहिने उठाएं,फिर बाएं। ऐसा क्रम से करते रहें।
2.कमर को दाहिने से गोलाई में घुमायें। फिर बाए तरफ से गोलाईमें घूमाए ।
3.कमर के पार्श्व भाग को ऊपर उठाएं फिर इसे सामान्य करें।
1.कमर को पहले दाहिने उठाएं,फिर बाएं। ऐसा क्रम से करते रहें।
2.कमर को दाहिने से गोलाई में घुमायें। फिर बाए तरफ से गोलाईमें घूमाए ।
3.कमर के पार्श्व भाग को ऊपर उठाएं फिर इसे सामान्य करें।
कत्थक नृत्य में ज्यादातर पैरों का इस्तेमाल होता है ततकार करने में। अतः पैर के खिंचाव वाले व्यायाम अवश्य करें।
पैरो के लिए व्यायाम
◆ सर्वहितआसन-इसमें अपना एक पैर घुटनों से मोड़े फिर दोनों हाथों से घुटनों को सहारा देते हुए अपने सीने पर घुटना स्पर्श करने की कोशिश करें। यह आसान करने से पैरों में स्थिरता बढ़ती है।
◆ नटराज आसन- इसमें आप दाये पैर को पीछे से उठाकर घुटनों से मोड़े फिर पीछे से दाएं हाथ से पैर के पंजे पकड़े और दूसरा हाथ सामने फैला दें । एक पैर से संतुलन बनाए। सिर सीधा रखें। इसे दूसरे पैरों से भी करें।बशारीरिक स्थिरता और मानसिक एकाग्रता के लिए यह आसन काफी लाभ प्रद है ।
◆ शिरंगुष्ठासन- इसमें आपको अपने सिर से पैरों के अंगूठे को छुना है दूसरा पैर पीछे की ओर सीधे जमीन पर फैला हुआ रहेगा। और दोनों हाथ पीठ पर बंधे हुए रहेंगे।
◆ उतान पादासन-पीठ के बल भूमि पर चित्त लेट जाएं। दोनो हथेलियों को भूमि स्पर्श करने दें। दोनों पैरों को सटाएं हुए धीरे धीरे ऊपर उठाएं। जितनी देर रोक सकते हैं रोके फिर श्वास छोड़ते हुए नीचे करें। इस व्यायाम का जिक्र लक्ष्मी नारायण गर्ग द्वारा लिखित किताब "कत्थक नृत्य" में है।
◆ पादहस्तासन- इस आसान को करने के लिए नृत्य के समपाद मुद्रा में खड़े हो जाए। दोनों हाथ ऊपर उठाएं, सांस भरे और कमर से धीरे-धीरे झुकते हुए सामने से अंगूठे को छुए। ध्यान रहे घुटना मुड़ना नहीं चाहिए।अब सांस छोड़ते हुए वापस सीधे खड़े हो जाए। यह आसन पैरों के साथ-साथ जांघ और कमर के लिए भी सर्वोत्तम है।
◆ प्राणायाम- मानसिक शक्ति को बढ़ाने के लिए आप प्राणायाम अवश्य करें। इससे आपकी स्मरण शक्ति तीव्र होगी,जो कत्थक में काफी लाभप्रद होगी। किसी भी आसन में बैठ जाइए, और आंखें बंद करके गहरी सांस लीजिए। सांस लेने और छोड़ने की गति धीमी हो। मन को विचार मुक्त रखिए और शरीर को तनाव मुक्त महसुस कीजिए। यह बहुत आसान है पर कई गुणा लाभप्रद है।
◆ शवासन- नृत्य आरंभ करने से पूर्व या सुबह में इन सभी व्यायाम को करने की आदत डालें। जो 24 घंटे में एक बार काफी है, पर नृत्य में हर रियाज समाप्ति पर या स्टेज परफॉर्मेंस के बाद शवासन करना जरुरी है। इसे करने से नृत्य करने के दौरान आपकी शरीर की गई ऊर्जा वापस आती है। नृत्य करने के पश्चात आप जमीन पर सीधे लेट जाइए,हाथ और पैर को पूरी तरह ढ़ीला/निढाल छोड़ दीजिए, और गहरी सांस लीजिए। 20 मिनट इसी स्थिति में ही लेटेे रहिए। आप इसके बाद काफी उर्जावान महसूस करेंगे।
पैरो के लिए व्यायाम
◆ सर्वहितआसन-इसमें अपना एक पैर घुटनों से मोड़े फिर दोनों हाथों से घुटनों को सहारा देते हुए अपने सीने पर घुटना स्पर्श करने की कोशिश करें। यह आसान करने से पैरों में स्थिरता बढ़ती है।
◆ नटराज आसन- इसमें आप दाये पैर को पीछे से उठाकर घुटनों से मोड़े फिर पीछे से दाएं हाथ से पैर के पंजे पकड़े और दूसरा हाथ सामने फैला दें । एक पैर से संतुलन बनाए। सिर सीधा रखें। इसे दूसरे पैरों से भी करें।बशारीरिक स्थिरता और मानसिक एकाग्रता के लिए यह आसन काफी लाभ प्रद है ।
◆ शिरंगुष्ठासन- इसमें आपको अपने सिर से पैरों के अंगूठे को छुना है दूसरा पैर पीछे की ओर सीधे जमीन पर फैला हुआ रहेगा। और दोनों हाथ पीठ पर बंधे हुए रहेंगे।
◆ उतान पादासन-पीठ के बल भूमि पर चित्त लेट जाएं। दोनो हथेलियों को भूमि स्पर्श करने दें। दोनों पैरों को सटाएं हुए धीरे धीरे ऊपर उठाएं। जितनी देर रोक सकते हैं रोके फिर श्वास छोड़ते हुए नीचे करें। इस व्यायाम का जिक्र लक्ष्मी नारायण गर्ग द्वारा लिखित किताब "कत्थक नृत्य" में है।
◆ पादहस्तासन- इस आसान को करने के लिए नृत्य के समपाद मुद्रा में खड़े हो जाए। दोनों हाथ ऊपर उठाएं, सांस भरे और कमर से धीरे-धीरे झुकते हुए सामने से अंगूठे को छुए। ध्यान रहे घुटना मुड़ना नहीं चाहिए।अब सांस छोड़ते हुए वापस सीधे खड़े हो जाए। यह आसन पैरों के साथ-साथ जांघ और कमर के लिए भी सर्वोत्तम है।
◆ प्राणायाम- मानसिक शक्ति को बढ़ाने के लिए आप प्राणायाम अवश्य करें। इससे आपकी स्मरण शक्ति तीव्र होगी,जो कत्थक में काफी लाभप्रद होगी। किसी भी आसन में बैठ जाइए, और आंखें बंद करके गहरी सांस लीजिए। सांस लेने और छोड़ने की गति धीमी हो। मन को विचार मुक्त रखिए और शरीर को तनाव मुक्त महसुस कीजिए। यह बहुत आसान है पर कई गुणा लाभप्रद है।
◆ शवासन- नृत्य आरंभ करने से पूर्व या सुबह में इन सभी व्यायाम को करने की आदत डालें। जो 24 घंटे में एक बार काफी है, पर नृत्य में हर रियाज समाप्ति पर या स्टेज परफॉर्मेंस के बाद शवासन करना जरुरी है। इसे करने से नृत्य करने के दौरान आपकी शरीर की गई ऊर्जा वापस आती है। नृत्य करने के पश्चात आप जमीन पर सीधे लेट जाइए,हाथ और पैर को पूरी तरह ढ़ीला/निढाल छोड़ दीजिए, और गहरी सांस लीजिए। 20 मिनट इसी स्थिति में ही लेटेे रहिए। आप इसके बाद काफी उर्जावान महसूस करेंगे।
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