चैप्टर 3
ततकार
ततकार शब्द की परिभाषिक व्याख्या कत्थक नृत्य के संदर्भ में करें तो पैर के तलवे द्वारा भूमि पर प्रहार या आघात करने की क्रिया तत्कार कही जाती है। ता थेई थेई तत कत्थक नृत्य का ऐसा उदाहरण है जिस पर कथक नृत्य निर्भर करता है। इसके हजारों प्रस्तार किए जा सकते हैं। तत्कार शब्द 700 वर्षों से भी पुराना है। तत्कार के अभ्यास के लिए कुछ आवश्यक चीजें हैं, जैसे घूँघरू कैसा होना चाहिए या उनकी संख्या कितनी होनी चाहिये। उसके बाद खड़ा होने का तरीका, पद संचालन का तरीका तथा घूँघरू पर रियाज से अधिकार।
घुंघरू
कत्थक नृत्य शैली के जैसा घुंघरु का प्रयोग अन्य किसी नृत्य में नहीं है। कथक में घुंघरुओं की ध्वनि की ओर अधिक ध्यान दिया गया है।
अभिनय दर्पण के रचयिता नंदी केश्वर के अनुसार घुंघरु काँसे का होना चाहिए वह उन सभी घुँघरुओं की बनावट एक जैसी होनी चाहिए, उनकी ध्वनि में अंतर जरा सा भी न हो इसका ध्यान रखना चाहिए।
कत्थक की शुरुआत करते समय घुंघरु एक पैर में 100-100 होने चाहिए,बाद में 250-250 तक की संख्या बढ़ा लेनी चाहिए। पुराने घूँघरू महत्वपूर्ण माने गए हैं। घूँघरू की पीरोई जाने वाली डोरी शास्त्रकारों द्वारा नीला बताया गया है। घूँघरू को एक गांठ एक घूँघरू की पद्धति से बांध लेना चाहिए। घूँघरू को धागों के साथ में गांठ ना लगाएं इससे घूँघरू की आवाज दब जाएगी।
पद संचालन के लिए शारीरिक मुद्रा
पद संचालन करते वक्त सीधे खड़े हो जाए व दोनों हाथ को कलाइयों से मोड़ते हुए उनका पृष्ठ भाग कमर पर रखें। पैरों को स्वाभाविक स्थिति में रखकर उठाएं व आघात करें जिससे पैर का पूरा तलवा भूमि से स्पर्श करें। पद संचालन के लिए दूसरी मुद्रा है हाथ बांध कर खड़े होने की। व तीसरी मुद्रा है बाएं हाथ में दाहिना हाथ रख कर खड़े होने की। इस मुद्रा में हाथ का स्थान होगा उत्पत्ति स्थान से थोड़ा नीचे व पेट से थोड़ा ऊपर।
तत्कार कैसे करें
सबसे पहले यहां मैं तीनताल तत्कार करने का तरीका बताऊंगी। तीनताल में 16 मात्रायें होती है अतः इसके ततकार में 16 बार दोनों पैरों से बारी-बारी आघात करना होगा। पहली मात्रा पर दांया पैर मारे,दूसरी मात्रा पर बायां,तीसरी मात्रा पर पुनः दायां पैर और चौथी मात्रा पर बायां पैर मारे।
5वीं मात्रा से इसे उल्टा करें यानि 5वीं मात्रा पर बायां पैर,6ठी मात्रा पर दायां पैर मारे, 7वीं मात्रा पर बायां पैर और 8वीं मात्रा पर दायां पैर मारे।
9वीं मात्रा से 12वीं मात्रा तक 1हली मात्रा से 4थी मात्रा के अनुसार करें।व 13वीं मात्रा से 16वीं मात्रा तक 5वीं से 8वीं मात्रा के अनुसार करें। सम स्थान पर पुनः दाहिना पैर आएगा। नीचे ग्राफ से समझे पैरों को दाहिना (दा) और बायां (बा) से संबोधित किया गया है। काले रंग से तीनताल की मात्रा,हरे रंग से तीनताल के बोल,नीले रंग से कत्थक के तत्कार के बोल और पीले रंग से पैरों का सम्बोधन किया गया है। और लाल रंग से तीनताल की ताली व खाली का स्थान बताया गया है।
ततकार
ततकार शब्द की परिभाषिक व्याख्या कत्थक नृत्य के संदर्भ में करें तो पैर के तलवे द्वारा भूमि पर प्रहार या आघात करने की क्रिया तत्कार कही जाती है। ता थेई थेई तत कत्थक नृत्य का ऐसा उदाहरण है जिस पर कथक नृत्य निर्भर करता है। इसके हजारों प्रस्तार किए जा सकते हैं। तत्कार शब्द 700 वर्षों से भी पुराना है। तत्कार के अभ्यास के लिए कुछ आवश्यक चीजें हैं, जैसे घूँघरू कैसा होना चाहिए या उनकी संख्या कितनी होनी चाहिये। उसके बाद खड़ा होने का तरीका, पद संचालन का तरीका तथा घूँघरू पर रियाज से अधिकार।
घुंघरू
कत्थक नृत्य शैली के जैसा घुंघरु का प्रयोग अन्य किसी नृत्य में नहीं है। कथक में घुंघरुओं की ध्वनि की ओर अधिक ध्यान दिया गया है।
अभिनय दर्पण के रचयिता नंदी केश्वर के अनुसार घुंघरु काँसे का होना चाहिए वह उन सभी घुँघरुओं की बनावट एक जैसी होनी चाहिए, उनकी ध्वनि में अंतर जरा सा भी न हो इसका ध्यान रखना चाहिए।
कत्थक की शुरुआत करते समय घुंघरु एक पैर में 100-100 होने चाहिए,बाद में 250-250 तक की संख्या बढ़ा लेनी चाहिए। पुराने घूँघरू महत्वपूर्ण माने गए हैं। घूँघरू की पीरोई जाने वाली डोरी शास्त्रकारों द्वारा नीला बताया गया है। घूँघरू को एक गांठ एक घूँघरू की पद्धति से बांध लेना चाहिए। घूँघरू को धागों के साथ में गांठ ना लगाएं इससे घूँघरू की आवाज दब जाएगी।
पद संचालन के लिए शारीरिक मुद्रा
पद संचालन करते वक्त सीधे खड़े हो जाए व दोनों हाथ को कलाइयों से मोड़ते हुए उनका पृष्ठ भाग कमर पर रखें। पैरों को स्वाभाविक स्थिति में रखकर उठाएं व आघात करें जिससे पैर का पूरा तलवा भूमि से स्पर्श करें। पद संचालन के लिए दूसरी मुद्रा है हाथ बांध कर खड़े होने की। व तीसरी मुद्रा है बाएं हाथ में दाहिना हाथ रख कर खड़े होने की। इस मुद्रा में हाथ का स्थान होगा उत्पत्ति स्थान से थोड़ा नीचे व पेट से थोड़ा ऊपर।
तत्कार कैसे करें
सबसे पहले यहां मैं तीनताल तत्कार करने का तरीका बताऊंगी। तीनताल में 16 मात्रायें होती है अतः इसके ततकार में 16 बार दोनों पैरों से बारी-बारी आघात करना होगा। पहली मात्रा पर दांया पैर मारे,दूसरी मात्रा पर बायां,तीसरी मात्रा पर पुनः दायां पैर और चौथी मात्रा पर बायां पैर मारे।
5वीं मात्रा से इसे उल्टा करें यानि 5वीं मात्रा पर बायां पैर,6ठी मात्रा पर दायां पैर मारे, 7वीं मात्रा पर बायां पैर और 8वीं मात्रा पर दायां पैर मारे।
9वीं मात्रा से 12वीं मात्रा तक 1हली मात्रा से 4थी मात्रा के अनुसार करें।व 13वीं मात्रा से 16वीं मात्रा तक 5वीं से 8वीं मात्रा के अनुसार करें। सम स्थान पर पुनः दाहिना पैर आएगा। नीचे ग्राफ से समझे पैरों को दाहिना (दा) और बायां (बा) से संबोधित किया गया है। काले रंग से तीनताल की मात्रा,हरे रंग से तीनताल के बोल,नीले रंग से कत्थक के तत्कार के बोल और पीले रंग से पैरों का सम्बोधन किया गया है। और लाल रंग से तीनताल की ताली व खाली का स्थान बताया गया है।
1 2 3 4
धा धीं धीं धा
ता थेई थेई तत
दा बा दा बा
×
धा धीं धीं धा
ता थेई थेई तत
दा बा दा बा
×
5 6 7 8
धा धीं धीं धा
आ थेई थेई तत
बा दा बा दा
२
धा धीं धीं धा
आ थेई थेई तत
बा दा बा दा
२
9 10 11 12
धा तीं तीं ता
ता थेई थेई तत
दा बा दा बा
०
धा तीं तीं ता
ता थेई थेई तत
दा बा दा बा
०
13 14 15 16B
ता धीं धीं धा
आ थेई थेई तत
बा दा बा दा
३
ता धीं धीं धा
आ थेई थेई तत
बा दा बा दा
३
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