कत्थक एक भारतीय शास्त्रीय नृत्य है यह उत्तरी भारत से उत्पन्न हुआ और यह भारतीय संस्कृति में आठ शास्त्रीय नृत्य रूपों का हिस्सा है जो प्राचीन भारत के उत्तरी क्षेत्र में खासकर प्रचलित थी। कत्थक नृत्य नाम पड़ा कथक जाति के लोगो के नाम पर कथक जाति के लोग बड़े मंदिरों में अपने प्रदर्शन को प्रदर्शित करने के लिए श्री विशेष रुप से पौराणिक पात्रों की कहानियां और प्रासंगिकता के साथ वाली कहानियों को धार्मिक शास्त्रों से लेकर लोगों के बीच प्रदर्शित करते थे।ये अपनी कहानियां हाथ और शरीर के मुद्राओं और इशारों से प्रस्तुत करते थे। उनकी अभिव्यक्तियों में चेहरे पर आस्था के भाव से वह अधिक सम्मोहक और भीड़ खींचने में सक्षम थे। वह कथाओं को संगीत और नृत्य के माध्यम से प्रस्तुत करते थे।
कथक के वर्तमान रूप में आज कई तरह के कई विशेषताओं को शामिल किया गया था। इसमें कुछ बदलाव भक्ति आंदोलन के द्वारा हुए। 16वीं शताब्दी के दौरान कत्थक नृत्य द्वारा श्याम को सूचित किया गया था, जबकि मुगल युग के दौरान मध्य एशियाई नृत्य प्रभाव को नृत्य में शामिल किया गया था। अभी मुख्य रूप से 3 घराने हैं जो कथक के कलाकारों की वंशावली को निर्धारित करते हैं। यह घराने हैं ।
लखनऊ घराना
जयपुर घराना और
बनारस घराना।
जयपुर घराना राजपूत के राजाओं की अदालतों से बाहर पैदा हुआ था। नवाबों की वजह से लखनऊ घराना और बनारस के नवाबों के कारण बनारस कथक के घराने का उदय हुआ था।
कत्थक का यह वर्तमान रूप अपने इतिहास के दौरान अवशोषित विभिन्न प्रभाव का एक मिश्रण है। इसका मतलब यह है कि मंदिर पौराणिक और धार्मिक पहलुओं के साथ रोमांटिक और श्रृंगार के साथ कई तरह के पहलुओं को यह नृत्य प्रस्तुत करता है। कत्थक की पहचान इसके पदाघातों से होती है जो इसकी सबसे बड़ी खासियत भी है, जिसे हम ततकार कहते हैं। इस नृत्य शैली में घुँघरू की ध्वनि की ओर अधिक ध्यान दिया गया है।कत्थक नृत्य करने के लिए आपको घुँघरू पर पूरा अधिकार होना चाहिए और उसके लिए आपको निरंतर अभ्यास करना पड़ेगा। ज्यादा अच्छा है कि आप अभ्यास तबला के साथ करें या लहरा के साथ। आज कल कई ऐप्प मौजूद हैं लहरा के जो आपके काफी काम आ सकती हैं। तत्कार के पैर में विभिन्नता लाने के लिए आपको कुछ अलग तरह के बोल रचनाओं का अभ्यास करना होगा। पिछले पाठ्यक्रम में हमने सीखा था कि तत्कार कैसे करना है । आज कुछ पदघातों का समूह नीचे दे रही हूं जिनका नित्यप्रति अभ्यास करें । यह पदघातों का समूह लक्ष्मी नारायण गर्ग द्वारा लिखी पुस्तक कथक नृत्य से लिया गया है। पैरो से दा यानि दायां पैर को सूचित किया गया है और बा यानि बायां पैर सूचित किया गया है।
1. दा बा दा बा, दा बा दा बा, दा बा दा बा, दा बा दा बा ।
2.बा दा बा दा, बा दा बा दा, बा दा बा दा, बा दा बा दा ।
3.दा बा दा दा, बा दा बा बा, दा बा दा दा, बा दा बा बा ।
4. दा बा दा, दा बा दा, दा बा - दो बार
5. बा दा बा, बा दा बा, बा दा - दो बार
6. दा बा दा बा, दा दा दा बा - दो बार
7.बा दा बा दा, बा बा बा दा - दो बार
8. दा बा बा दा, दा बा बा दा - दो बार
9.दा बा -- दा, दा बा -- दा - दो बार
10.बा दा -- बा , बा दा -- बा - दो बार
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